Tuesday, 2 June 2015

सरकारी तंत्र में पिसते पटरी दुकानदार


इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। दिन रात मेहनत करके अपने और परिवार के लिए दो जून रोटी का इंतजाम करने वाले पटरी दुकानदारों की हालत मौजूदा समय में काफी दयनीय है। नगर निगम की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवेयै के चलते उनका रोजगार बंद  होने के कगार पर है। ऐसे में उनके पास पेट भरने के भी  लाले पड़ जायेंगे। एक तरफ नगर निगम शहर को यातायात सुगम तरीके से चलाने के लिए अवैध रुप से कब्जा किये सड़कों से व्यापारियों को हटाने में लगा है तो वहीं दूसरी तरफ वह कोर्ट के आदेश के बाद भी  पटरी दुकानदारों का लाइसेंसीकरण तो दूर की बात, सर्वे भी  नहीं करवा पाया है। अतिक्रमण के खिलाफ नगर निगम द्वारा आए दिन अभियान चलाता रहा है मगर उनके इस अभियान का सबसे ज्यादा नुकसान पटरी दुकानदारों को होता है।

कोर्ट के आदेश को भी  नहीं मानता विभाग 
कोर्ट का आदेश था कि पटरी दुकानदारों को जल्द से जल्द लाइसेंस देकर उनके लिए जिम्मेदार विभाग  एक स्थायी जगह तलाश करें मगर लाइसेंस देने की बात तो दूर अभी  तक पूर्ण रुप से सर्वे भी नहीं किये जा सके हैं। विभाग  ने 2014 में कमेटी बना कर सर्वे कराने की बात कही थी मगर दो साल बीत जाने के बाद भी  सर्वे पूरा नहीं हो सका है जबकि कोर्ट ने छह महीने में सर्वे करवाकर लाइसेंस देने की बात कही थी। उसके बाद भी  एक साल गुजर गया मगर पटरी दुकानदारों को लाइसेंस नहीं दिया गया है।

सर्वे कराने के फायदे
सर्वे  द्वारा नगर निगम को यह जानकारी हो जाती है कि शहर में कितने पटरी दुकानदार हैं, जिससे उनके लिए स्थाई रुप से जगह देने के लिए जमीन तलाश करने में विभाग  को भी  आसानी होती मगर सर्वे अभी  तक पूरी तरह से नहीं करवाये गये हैें जिससे नगर निगम को सही से अंदाजा भी  नहीं लग पा रहा है कि उनको कितने पटरी दुकानदारों को स्थाई रुप से जगह देनी है। विभाग  की लापरवाही पटरी दुकानदारों को अक्सर भारी पड़ती रहती है।

अतिक्रमण अभियान  से पटरी दुकानदारों को नुकसान
जब-जब नगर निगम द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया जाता है तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान पटरी दुकानदारों को उठाना पड़ता है। अभियान  के दौरान सड़क पर कोई भी  पटरी दुकानदार दुकान नहीं लगा पाता है जिस कारण उसको आर्थिक तंगी से गुÞजरना पड़ता है। अभियान के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान फल विक्रेताओं का होता है। लंबी अवधि या हफ्ते भर  तक यदि उनको दुकान लगाने को नहीं मिलता है तो फल खराब हो जाते हैं जिससे उनके मुनाफे की बात तो दूर, लगी पूंजी भी  वसूल नहीं हो पाती है। दुकानदारों के मुताबिक, अ•िायान के समय जब दुकान लगाने को नहीं मिलता तो घर में खाने के भी  लाले पड़ जाते हैं।

ये होगा फायदा
यातायात व्यवस्था को सुचारु रुप से चलाने के लिए जरुरी है कि पटरी दुकानदारों को स्थाई जगह मुहैया करवाई जाये। यदि नगर निगम द्वारा इन पटरी दुकानदारों को लाइसेंस देकर वैध तरीके से जमीन उपलब्ध करवाती है तो इससे यातायात की समस्या अपने आप ही खत्म हो जायेगी। इसके अलावा जाम जैसी समस्या से लोगों को निजात मिल जायेगी। पटरी दुकानदारों को भी  फायदा होगा क्योंकि उनका इंश्योरेंस किया जायेगा ऐसे में यदि कोई हादसा होता है तो उनको नुकसान का पैसा भी  मिलेगा। इसके अलावा आये दिन पटरी दुकानदारों द्वारा धोखाधड़ी के केस भी  सामने आते रहते हैं। लाइसेंस मिलने से इस पर •ाी काफी हद तक अंकुश लग जायेगा क्योंकि उनको विभाग  द्वारा पहचान पत्र दिया जायेगा।

इन मुकदमों में कटता है चालान
अवैध रुप से दुकान लगाने वाले पटरी दुकानदारों को आये दिन किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ता है। 26 क के तहत चालान काटने पर उनको 5000 हजार रुपये जुर्माना देना पड़ता है। इसके साथ ही वारंट आने पर जेल भी  जाना पड़ सकता है। फेरी नीति चालान नहीं करना चाहिए मगर जानकारी कम होने के कारण कर देते है। वैसे बहुत हुआ तो 34 बी के तहत चालान कर सकते है।

यहां पर है ज्यादा पटरी दुकानदार
वैसे तो पटरी दुकानदार पूरे शहर में है, मगर सबसे ज्यादा पटरी दुकानदार अमीनाबाद, नक्खास, आलमबाग, चौक व निशातगंज में है। अकेले अमीनाबाद में ही लगभग  700 पटरी दुकानदार है। इसके अलावा इतनी ही संख्या में आलमबाग व नक्खास में भी  पटरी दुकानदार है। 

वर्जन::::::::::::::

1::: हाशिम जो अमीनाबाद में पटरी पर दुकान लगाते है उन्होने बताया कि नगर निगम अक्सर अ•िायान चलाती है जिससे हम लोगों को काफी नुकसान होता है अभी  तक हम लोगों को लाइसेंस नहीं दिया गया है। वि•ााग की लापरवाही का नतीजा हम लोगों को भूगतना पड़ रहा है।

2::: शहजाद जो अमीनाबाद के मुख्य चौराहे पर दुकान लगाते है उनके अनुसार विभाग  उनका के खिलाफ करवाई नही करता जो पक्की दुकानों में अवैध रुप से निर्माण करवाये हुए है। हम लोगों पर दोहरी मार पड़ती है हम न तो इधर के रहते है न उधर के। ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान हम पटरी दुकानदारों का ही होता है।

3:::::मनीष चौधरी जो पटरी दुकानदारों के अध्यक्ष है उनसे बात करने पर उन्होने बताया कि जो सर्वे नगर निगम द्वारा करवाये गये है उनकी लिस्ट अभी  तक नहीं दी गई है जिससे ये ज्ञात नहीं हो पा रहा है कि कितने दुकानदारों को सर्वे में शामिल किया है। नगर निगम के पास मोहन मार्केट और गड़बड़ झाला ही है जिसमें वो निर्माण करवा के हम लोगों को दे सकेगा। पटरी दुकानदार तो बनने में जो लागत लगेगी वो •ाी देने को तैयार है मगर नगर निगम ही हीलावाही कर रहा है। 

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