इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। एसिड अटैक एक अमानवीय और •ायावह अपराध है। एसिड अटैक अपराध हत्या जैसे जघन्य अपराध से •ाी खतरनाक है। एसिड अटैक के शिकार लोग जिंदा तो रहते है मगर समाजिक और मानसिक रूप से उनकी हत्या हो चुकी होती है। वो समाज में मिलने , उठने बैठने का आत्मविश्वास नहीं जुटा पाते। एसिड अटैक में शरीर के जिस •ाी हिस्से पर एसिड पड़ता है वो हिस्सा पूरी तरह झुलस जाता है खास कर जब चेहरे पर पड़ता है तो वो पूरी तरह झुलस जाता है और ऐसी •ायावह हालत में पीड़ित अपने चेहरे को आइने में •ाी देखने का साहस नही कर पाते हैं। ज्यादातर हमले में पीड़ित की मौत तो नही होती मगर उसकी बाकी बची जिंदगी मौत से •ाी बदतर हालत में गुजरती है।
एसिड अटैक का मकसद चेहरे को खराब करना होता हौ एसिड अटैक में चौथी डिग्री का बर्न होता है इसमें त्वचा की पहली नही बल्कि चौथी परत तक जल जाती है इसके घाव सही होने में सालों लग जाते है मगर फिर •ाी पहले जैसी त्वचा नही आ पाती। समय के साथ दिक्कतें कम होने के बजाय और बढ़ जाती हंै जिसके कारण पीड़ित को धूप मे निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।इसके शिकार लोगों को असीम दर्द के साथ समाज से इतर जिन्दगी जीनी पड़ती है। क•ाी क•ाी उसको अपने ही घर में •ोद •ााव का दर्द झेलना पडता है।
क्या कहता है कानून
18 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने कानून में बदलाव करते हुए तेजाब को जहर की श्रेणी में रखा है। अब कोई •ाी दुकानदार बिना लाइसेंस के तेजाब नहीं बेच सकते है। इसके अलावा और •ाी संशोधन हुए है जिसमें पीड़िता को तीन लाख का मुआवजा दिया जायेगा। 15 दिन के अंदर एक लाख रूपये देना अनिवार्य है। आरोपी को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती हैं।
हादसों की वजह
एसिड अटैक की कई वजह हो सकती है जैसे दहेज की मांग न पूरी होना, घरेलू कलाह, शादी का प्रस्ताव ठुकरा देना, प्रेम प्रसंग, दुष्कर्म के प्रयास में विफल होना । ऐसे परिस्थिति होने में एसिड अटैक के केस ज्यादा होते है। लखनऊ में ही प्रेम प्रसंग और दुष्कर्म में विफल होने पर दो लड़कियों पर एसिड अटैक किया जा चुका है
सरकार नहीं करती मदद
सरकार की तरफ से एसिड अटैक में घायल युवती को पंद्रह दिन के अंदर आर्थिक मदद देने का सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आदेश दिया जा चुका है मगर इसके बाद •ाी सरकार की तरफ से इनको सही समय पर पैसा नही दिया गया है।
केस 1
समद कथा में काम करने वाली मीना के ऊपर घरेलू कलाह के चलते उनके पति ने ही तेजाब डाल दिया था। आज के समय में वो काम करके अपने तीनों बच्चों की परवरिश कर रही है उनका सबसे छोटा बेटा चौदह साल का हैं।
केस 2
2012 में आलमबाग निवासी कविता पर उनके प्रेमी ने ही तेजाब डाल दिया था। 25 वर्षीय कविता आरोपी नटखेडा निवासी फैज के शाप पर काम करती थी। वही दोनों के बीच अफेयर शुरू हो गया मगर कुछ महीनों बाद फैज की शादी हो गई । शादी हो जाने के बाद •ाी फैज कविता को लगातार रिलेशन में रहने का दवाब डालता रहा। कविता के मना करने पर उसके ऊपर फैज ने तेजाब डाल दिया। घटना के दो साल बाद •ाी आरोपी खुले आम घूम रहा है और कविता समाज से इतर जिंदगी जी रही है। साल में दो बार कविता की सर्जरी होती है। परिवार से सपोर्ट न मिलने के पर •ाी उसने हार नही मानी। वो समाज में जीने के लिए लगातार सघर्ष कर रही है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
केस 3
अशियाना निवासी 16 वर्षीय रेशम फातमा पर उनके रिश्तेदार ने ही बलात्कार का प्रयास किया। विफल रहने पर आरोपी ने रेशम के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। हाल में ही रेशम को बेबी बे्रव अवार्ड •ाी दिया जा चुका है।

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