Saturday, 6 June 2015

अब नही भाती गुरुओ की पाठशाला

इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। साल दर साल यूपी बोर्ड के रिजल्ट के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी होती जा रही है मगर इसके साथ ही यूपी बोर्ड के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट में बच्चों की संख्या भी  कम होती जा रही है। पहले दस साल की अपेक्षा में अब यूपी बोर्ड के स्कूलों से लोगों का मोह भंग  होता जा रहा है। जिसका मुख्य कारण दिल्ली बोर्ड के स्कूलों में वृद्धि और यूपी बोर्ड के स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर है।
स्कूलों में वृद्धि छात्रो में गिरावट
यूपी बोर्ड के स्कूलो में लगातार बढोत्तरी हो रही है मगर उसके साथ ही उसमें प्रवेश लेने वालो छात्रो की संख्या में गिरावट हो रही है। मौजूदा समय में राजधानी में यूपी बोर्ड के स्कूलों की संख्या 720 है। पिछल्ले कुछ समय में स्कूलों की संख्या मे तेजी से इजाफा हुआ है। इस बार भी  यूपी बोर्ड की मान्यता लेने में दर्जनों स्कूल लाइन लगाये हुए है। जिस तेजी से यूपी बोर्ड मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या बढ़ रही है उतनी ही तेजी से छात्रों की संख्या घट भी  रही है।
दिल्ली बोर्ड के स्कूलों की संख्या बढ़ी
आज से एक दशक पहले तक यूपी बोर्ड के स्कूलों का बोलबाला था फिर राजधानी में दिल्ली बोर्ड के स्कूलों ने दस्तक दी और देखते देखते इन स्कूलों ने अपनी छाप बना ली। इनकी चमक के आगे सरकारी स्कूलों की छवि धूमिल हो गई। एक दशक पहले इन स्कूलों की संख्या दस से पंद्रह थी मगर मौजूदा समय में इन स्कूलों की संख्या 200 से भी  अधिक है।


शिक्षा स्तर में फर्क
यूपी बोर्ड और दिल्ली बोर्ड के स्कूलों में शिक्षा के स्तर में भी  काफी फर्क है जिसकारण अच्छी शिक्षा ग्रहण करने और अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में अभिभावक  यूपी बोर्ड के स्कूलों के बजाये दिल्ली बोर्ड के स्कूलों को ज्यादा प्रथमिकता दे रहे है। यूपी बोर्ड में थोक के भाव स्कूलों में मान्यता दे दी है। इसके अलावा अगर दोनो बोर्ड के स्कूलो की पढ़ाई में तुलना की जाये तो दिल्ली बोर्ड के स्कूलों की पढ़ाई यूपी बोर्ड की तुलना में ज्यादा हाई टेक है। यूपी बोर्ड के ज्यादातर स्कूलों में आज भी  अंग्रेजी को प्रायामिकता से नहीं पढ़ाया जाता है जबकि दिल्ली बोर्ड के स्कूलों में जो शिक्षा दी जाती है वो कंपीटिशन लेविल की होती है जिससे बच्चों को शुरु से ही उच्च स्तर की शिक्षा मिलने के कारण वो आगे कंपटिशन में आसानी से आगे निकल जाता है। पढ़ाई के साथ अनुशासन के मामले में •ाी दिल्ली बोर्ड यूपी बोर्ड से काफी आगे है।
वर्जन अभिभावक 
 खुर्रम नगर निवासी आमिर तस्लीम की बेटी शहर के प्रतिष्ठित स्कूल में पड़ती है। यूपी बोर्ड के स्कूूल में एडमिशन न करवा आईएससीई बोर्ड के स्कूल में एडमिशन करवाने के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अनुशासन शिष्टाचार के चलते यूपी बोर्ड में एडमिशन नहीं दिलवाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली बोर्ड के स्कूलों में पढ़ाई के साथ अनुशासन भी  सिखाया जाता है जिसके कारण बच्चों शिक्षा के साथ अच्छा व्यवहार भी  सिखने को मिलता है।

2:::: अशियाना निवासी सिराज के दो बेटे है और दोनो ही दिल्ली बोर्ड के स्कूल में पढ़ते है। उन्होने कहा कि प्रतिस्पर्धा के दौर में अच्छी पढ़ाई ही बच्चो का भविष्य तय करती है यदि उनको अच्छी शिक्षा न मिल पाये तो उनका भविष्य भी  अंधकार मय हो जाता है। जहां तक यूपी बोर्ड के स्कूलों में पढ़ाई का मामला है तो वो अभी  दिल्ली बोर्ड के स्कूलो से काफी दूर है।

स्कूल प्रधानाचार्य का वर्जन
लखनऊ पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य रुपाली पटेल ने बताया कि दिल्ली बोर्ड के स्कूलों में जो पढ़ाई होती है वो प्रतिस्पर्धा स्तर की होती है जिससे बच्चे आगे जाकर किसी इंजीनियरिंग या किसी और तरह के कंपीटिशन  में भाग  लेते है तो उनको स्कूल में पढ़ाई का काफी फायदा मिलता है। इसके अलावा कहां एडमिशन लेना है कहां नहीं ये अभिभावक  और बच्चों का फैसला होता है । दिल्ली बोर्ड के स्कूलों में कंपीटिशन बेस पढ़ाई कराई जाती है। अच्छी पढ़ाई केसाथ बच्चों को अनुशासन में रहना •ाी सिखाया जाता है।

2::: खुर्रम नगर गर्ल्स कालेज के प्रधानाचार्य मोहम्मद तारिक के अनुसार यूपी बोर्ड में के ज्यादातर स्कूल हिंदी मीडियम है जबकि आजके समय में अंग्रेजी का अपना अलग महत्व है उसके बिना  अच्छी नौकरी नहीं मिलती है। इसके अलावा मान्यता देने में यूपी बोर्ड सबसे आगे है जिसके कारण हर गल्ली में स्कूल खुल गये है। उन स्कूलों को भी  मान्यता दे दी है जहां पर पढ़ाई ही नहीं होती इससे यूपी बोर्ड के साख पर असर पड़ा है।
वर्जन
वर्तमान समय में दिल्ली बोर्ड के स्कूलों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है जिसके चलते लोगों के पास विकल्प है। यूपी बोर्ड के स्कूलों में जहां तक शिक्षा के स्तर की बात है वो भी  इतना खराब नहीं है। इस बार के यूपी बोर्ड के रिजल्ट भी  काफी अच्छे गये है। :::::::::: प्रेम चंद बीएस ओ माध्यमिक शिक्षा


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