Wednesday, 29 July 2015

कार्पोरेट कल्चर के तर्ज पर सपा कर रही है प्रत्याशियों का चयन



इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। कार्पोरेट जगत की तर्ज पर सपा इस बार प्रत्याशियों का चयन कर रही है जिसमें इंटरव्यू, पदाधिकारियों से प्रत्यशियों का बायोडाटा इकठठा करवाना, राजनैतिक व समाजिक स्तर पर क्षेत्र में पकड़ आदि बातो पर जोर दिया जा रहा है इंटरव्यू के जरिये पार्टी इस बार सही प्रत्याशियों की तलाश में लगी है। 2012 के विधानसभ चुनाव में 169 सीटों पर मिली हार पर सपा 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत की जुगात लगा रही है। पार्टी के सामने 2012 के विधानसभा  चुनाव में जीती गई सीटों को बचाने का भी  दबाव है  तो  साथ ही इन हारी हुई सीटों पर अपना झंडा भी  लहराने का मंसूबा है। विपक्षिय दल जैसे भाजपा बसपा कांग्रेस ने अगामी विधानसभ  की तैयारियो का बिगुल फूं क दिया ऐसे में सत्तारुढ़ पार्टी ने नहले पर दहला मारते हुए अपनी तैयारियां भी  शुरु कर दी है। सपा पिछल्ली बार की उन सीटों की समीक्षा कर रही है जिस पर उसको हार मिली थी। इस बार सपा ने उन सीटो पर प्रत्याशियों के चयन के कार्पोरेट का कल्चर अपनाया है जिसमें पिछली बार हारी हुई सीटो की समीक्षा के साथ उन सीटों से लड़ने वाले प्रत्याशियों का कार्पोरेट कल्चर की जर्त पर इंटरव्यू लेना शुरु कर दिया है।

अच्छे प्रत्याशी की तलाश का नया तरीका
2012 के विधानसभा  चुनाव में सपा की जबरदस्त लहर के बावजूद वो 169 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था।  मिशन 2017 में सपा अपनी इन्ही सीटो को अपनी मजबूती बनाने में लगी हुई है। इसके लिए उसने उन क्षेत्रों से लड़ने वाले प्रत्याशियों का इंटरव्यू लेना भी  शुरु कर दिया है। सपा इस बार ऐसे प्रत्याशी की तलाश कर रही है जो क्षेत्र से पूरी तरह वाकिफ हो और जातीय समीकरण में फिट बैठता हो। झांसी कानपुर अलीगढ़ आगरा आदि जगहो के मंडल के 169 सीटों के लिए अब तक 1500  आवेदन आ चुके है। सबको टिकट देना मुमकिन नहीं है इसलिए सपा इंटरव्यू के जरिये उनकी क्षमता परख रही है इससे पहले ऐ सिर्फ कार्पोरेट जगत में होता थ मगर इसबार सपा ने इसको अपना कर राजनीति में नई दिशा देने की कोशिश की है। इसके जरिये सही प्रत्याशी का चयन •ाी हो जायेगा और पार्टी में मनमुटाव की स्थिति •ाी कम होगी।

इंटरव्यू के जरिये राजनीतिक औेर समाजिक स्थिति का लगायेगें अंदाजा
जैसे कार्पोरेट पर जगत में प्रतिभागी की प्रतिभा  और उसके काम  का अंदाजा इंटरव्यू के जरिये किया जाता है ठीक उसी तरह सपा ने भी  अगामी विधानसभा  चुनाव के लिए अपनी पिछल्ली बार की हारी हुई सीटों पर प्रत्शशियों का चयन इसी तरह करना शुरु कर दिया है जिसमें चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों का इंटरव्यू लिया जा रहा है जिसमें सपा इन इंटरव्यू के जरिये प्रत्याशियों के राजनैतिक और समाजिक स्तर की समझ और महत्वाकांक्षा को समझेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक टीम •ाी गठित कर दी है जो प्रत्याशियों के इंटरव्यू का रिपोर्ट कार्ड मुख्यमंत्री को देगी।

इंटरव्यू लेने वालों के पैनल में ये है शामिल
वर्ष 2012 के चुनाव में हारी169 सीटों पर वर्ष 2017 के लिए अ•ाी से प्रत्याशी चयनित करने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कमेटी गठित की है। इसमें मंत्री शाहिद मंजूर, कैलाश यादव, राज्यमंत्री एवं महासचिव अरविंद कुमार सिंह गोप, कमाल अख्तर, एमएलसी व प्रदेश सचिव एसआरएस यादव, एमएलसी नरेश उत्तम शामिल हैं। लेकिन टिकट पर अंतिम फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ही करेंगे, लेकिन इसमें चयन समिति सिफारिशों की महत्वपूर्ण •ाूमिका होगी।

राजधानी में बढ़ते अपराधो के आगे बेबस पुलिस


इन्टरवल एकसप्रेस
लखनऊ। राजधानी में बीते साल से लेकर अब अपराधिक ग्राफ तेजी से बढ़ा है। दिन दहाडे एक के बाद एक दिल दहला देने वाली घटनाओं ने राजधानी के अमन चैन को बर्बाद कर दिया। अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस का हर दांव बे असर साबित हो रहा है। पूर्व एसएसपी यशस्वी यादव के बाद अपराधो पर अंकुश लगाने के लिए आये नए एसएसपी राजेश पांडेय को •ाी अपराधो ने संभलने का मौका नहीं दिया। खुलेआम गोलियों की तड़तड़ाहट से बदमाशों ने शहर में ऐसी दहशत फैलाई कि लोग अब अपने को सुरक्षित महसूस नही कर पा रहे है। जहां एक तरफ खुलेआम बदमाश व अपराधी पुलिस को चुनौती दे रहे है वहीं दूसरी तरफ पुलिस किसी भी  सनसनीखेज कांड का खुलासा नहीं कर पा रही है।
एक महीने में बढ़ी अपराधिक घटनाएं
लगभग  एक महीने में राजधानी में अपराधिक घटनाओ में काफी तेजी आई है। पिछल्ले एक महीने में सात महिलाओं और तीन प्रॉपर्टी डीलरों सहित 20 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके अलावा सात महिलाओं से दुराचार, नौ सनसनीखेज लूट, 12 चोरियां समेत दस घटनाएं छेड़छाड़ की हुई है। जिसमें पुलिस सिर्फ 15 घटनाओं का ही खुलासा कर सकी है। यह तो वह मामले है जो मीडिया की नजर में है ऐसे कितने मामले होगें जो राजधानी पुलिस ने हजम कर लिया होगा । हालांकि पुलिस की टीमें एक वारदात की पड़ताल में जुटती हैं तब तक दूसरा दुस्साहसिक कांड हो जाता है।

चुनौतीपूर्ण वारदातों का खुलासा करने में पीछे पुलिस
शहर में हुईर्  चुनौतीपूर्ण वारदातों का खुलासा करना तो दूर की बात पुलिस उन घटनाओं का सिरा तक नहीं तलाश सकी है। फिर चाहे वो सरोजनीनगर में कैश वैन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर लूटहो ? चिनहट में प्रॉपर्टी डीलर विशाल यादव उर्फ बुंदी को गोलियों से भूनने वाले विमल, कमल और समर सिह नामजद होने के बावजूद पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। हजरतगंज में बुजुर्ग महिला की हत्या का मामला, मड़ियांव में पीजीआई डाक्टर के घर पड़ी डकैती की घटनाएं ठंडे बस्ते में है।

चोरी और डकैती का भी  खुलासा नहीं
हत्यओं के मामले का खुलासा तो दूर की बात पुलिस चोरी और डकैती की भी  घटनाओं का खुलासा करने में पीछे है। चिनहट में रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर के घर पर धावा बोलकर एक करोड़ का माल लूटने वाले डकैतों और गाजीपुर के सर्वोदयनगर में फरजाना, विभूतिखंड के वि•ावखंड निवासी टाटा मोटर्स के अफसर हिमांशु गिहोत्रा तथा बहुखंडी मंत्री आवास में रहने वाले सपा नेता रिजवान बरकाती का सामान चोरी करने वालों का •ाी कुछ पता नहीं चल सका है।

हाइटेक पुलिसिंग भी  फेल
राजधानी में कानून व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए हाई टेक पुलिस का गठन हुआ था साथ ही पुलिस को और आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाये गये थे। जिसमें  हाईटेक गाड़ियां दी गयीं, हाईटेक कंट्रोल रूम बना और 70 चौराहों पर कैमरे लगाये गये। मगर इतने ताम झाम के बाद •ाी शहर में अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे है।
घटनाएं जो पुलिस के लिए बनी सिर दर्द

17 जून : मानकनगर की कनौसी रेलवे कॉलोनी में आॅटो चालक रिकू यादव की कुल्हाड़ी मारकर हत्या।
18 जून : चिनहट के कंचनपुर मटियारी में बर्थडे पार्टी में प्रॉपर्टी डीलर विशाल यादव उर्फ बुंदी को गोलियों से •ाूना। कृष्णानगर के अलीनगर सुनहरा निवासी प्रॉपर्टी डीलर राजबहादुर सिह की रुस्तमपुर में गोली मारकर हत्या।
19 जून : बाजारखाला के •ावानीगंज में स्कूल वैन संचालक आफाक के इकलौते बेटे बिलाल की हत्या।
21 जून : पीजीआई के रानीखेड़ा गांव निवासी अयोध्या प्रसाद को बेटे ने चाकू से गोदकर मार डाला। मड़ियांव के केशवनगर में इंजीनियर शैलेश तिवारी उर्फ टिकू की कार में हत्या।
22 जून : सरोजनीनगर के न्यू गुढ़ौरा में शहीद पथ की सर्विस लेन पर कैश वैन पर ताबड़तोड़ फायरिग कर कस्टोडियन की हत्या कर लाखों लूटे। आलमबाग में जमीन कब्जाने को लेकर खुलेआम फायरिग।
25 जून : अलीगंज में केंद्रीय विद्यालय के पीछे बोरे में मिला युवती का शव।
26 जून : निशातगंज में मोबाइल चोरी के आरोप में किशोर की हत्या। मोहनलालगंज के जंगलों में हत्या कर फेंका युवक का शव।
27 जून : पीजीआई में जंगल में युवती की हत्या। चिनहट में रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर को बंधक बनाकर एक करोड़ की डकैती।
पीजीआई में जंगल में मिली युवती की लाश।
-नौकरी के नाम पर चिनहट में छात्रा के साथ गैंगरेप, विडियो बनाया।
गोमतीनगर के विपुलखंड में रहने वाले रिटायर्ड बैंक कर्मी राकेश नारायण मिश्रा व उनकी पत्नी की गत 14 अप्रैल 2014 को हत्या कर दी गई।
मड़ियांव इलाके में गत एक जून को सैक्स रैकेट संचालिका सायरा बानो और उसकी नाबालिग बेटी की गोली मारकर हत्या की गई।
28 फरवरी : हसनगंज के डालीगंज में दिनदहाड़े बाइक सवार बदमाशों ने एटीएम कैश वैन के गार्ड, चालक व लोडर की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या करते हुए 5० लाख रुपए लूट कर फरार हो गए थे।
गोमतीनगर के विशालखंड में वर्ष 2013 में हुए एक गैंगवार में दो शातिर अपराधियों को गोलियों से •ाून दिया गया था।
गाजीपुर के रविंद्ग पल्ली में रहने वाली देवरानी सरला श्रीवास्तव और जेठानी देवचंद्र की निर्मम हत्या की गई।
चौक में वर्ष 2013 में क्राकरी कारोबारी व उसके नौकर की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
पांडेयगंज में वर्ष 2012 को नानी व उसकी पोती की घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में घटना का खुलासा किया था।

#बढता अपराध #बेबस पुलिस #क्राइम #राजधानी 

महिलाओं के लिए असुरक्षित राजधानी

इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। प्रदेश में सबसे ज्यादा सुरक्षित कही जानी वाली राजधानी बभी  अब महिलाओं के लिए सुरक्षित नजर नहीं आ रही है। जिस प्रदेश की राजधानी में ही महिला सुरक्षित न हो उसके अन्य जिलों में महिलाओं की सुरक्षा की अंदाजा असानी से लगाया जा सकता है। आये दिन हो रही घटनाओं ने महिलाओं को घर में दुबक कर रहने को मजबूर दिया है। छेड़ छाड़, बलात्कार, छीटाकाशी, सरे राह लडकी को अगवाकर लेने की घटनाएं  रोज सुबह अखबार की सुर्खियां बन जाती है। महिला संबधी अपराध को रोकने के लिए कई योजनाओं की शुरु की है मगर सब बे असर साबित हुई है। गौरी हत्याकांड ने तो शहर की कानून व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया उससे पहले मोहनलालगंज में महिला की बलात्कार कर के नृशंस हत्या कर दी गई थी। इन घटनाओं के बाद •ाी राजधानी में महिलाएं कितनी सुरक्षित है इसकी बानगी हाल में हुई संगीन वारदातें स्वयं ही बयान करती है। हजरतगंज में बुजुर्ग महिला की दिनदहाड़े घर में घुसकर हत्या कर दी गई। इसके अलावा विवाहिता को दहेज के लिए सूली पर चढ़ा दिया गया। यह सब घटनाएं बढ़ रहे महिला सम्बन्धी क्राइम ग्राफ की और इशारा कर रही है।

कठोर कार्रवाई ना होने से बढ़ी घटनाएं
मोहनलालगंज हो या गौरी हत्याकांड सभी  केसों में पुलिस की लापरवाही सामने आई है महिलाओं  के प्रति जितनी सरकार ओर पुलिस गं•ाीर नजर आने का ड्रामा  करती है हकीकत में उतनी है नहीं। हाल में महिलाओं के प्रति हिंसा के मामलों में तेजी से बढोत्तरी हुई है। घर से लेकर सड़क तक कहीं भी  महिला सुरक्षित नहीं नजर आती है इसके बावजूद पुलिस महकमा की उदासीनता उनको और निराश करती है। शोहदों द्वारा सरे राह लडकियों को छेड़ा जाता है ऐसे लोगों पर श्किंजा कसने के लिए पुलिस ने अ•िायान भी  चलाया मगर वो भी  कुछ दिनों बाद ही फुस्स हो गया।




धरी रह गई योजनाएं
सरकार ने महिलाओं पर हो रहे अपराध को रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1090 की शुरुवात की जिसका अशार भी  हुआ मगर कुछ ही महीनों में ये सेवा भी  अपराध को र७ोकने में नाकाम साबित हो रही है कई बार तो महिलाओं और लडकियों की शिकायत रहती है कि नंबर मिलता ही नहीं है ऐसे में यदि कोई  मुसीबत में हो तो हेल्प कैसे मिलेगी। इसके अलावा यहां घरेलू हिंसा निरोधक कानून बनने के 10 साल के बाद ही मामलों को निस्तारण के लिए जिला संरक्षा अधिकारियों की पूर्णकालिक नियुक्ति नहीं हो पाई है, जिसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए जवाब तलब किया है।

घर के अंदर भी  नहीं सुरक्षित महिलाएं
शहर के अंदर महिला सुरक्षा कितनी चुस्त दुरुस्त है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो अपने घर के अंदर ही अब सुरक्षित नहीं रह गई है। हजरतगंज में दिन दहाडें एक बुजुर्ग महिला की हत्या कर दी है। जिसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है इसके अलावा घर में घुसकर दंबगो द्वारा मड़ियाव क्षेत्र में लङ्मकी के साथ दुराचार करने की भी  घटना सामने आई है हलाकि अ•ाी इसकी पुष्टि नहीं हुई है ।


घटनाएं जिनमें नहीं हुई कार्रवाई
27 जून- पीजीआई इलाके के सु•ाानी खेड़ा स्थित जंगल में युवती का शव अर्द्धनग्न अवस्था में औंधे मुंह पड़ा मिला था। घटना स्थल से शराब, बियर, मिनरल वाटर की बोतले और बिरयानी के दोने मिले हैं। साथ ही आपत्तिजनक वस्तुएं भी  बरामद हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार महिला के साथ कोई दुराचार नहीं हुआ था। उसकी गला दबाकर हत्या की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुराचार की पुष्टि न होने के बाद पुलिस हत्यारों की तलाश में जुटी है। सूत्रों के अनुसार पुलिस हत्यारों के करीब पहुँच चुकी है। महिला की शिनाख्त हो चुकी है। बिहार निवासी महिला के परिजनों से पुलिस पूछताछ में जुटी है।

 30 जून- चिनहट कोतवाली क्षेत्र में एक छात्रा के साथ गैंगरेप का मामला प्रकाश में आया था। पीड़ित छात्रा के मुताबिक बीते 15 जून को तारा का पुरवा गांव निवासी कौशल यादव व लवकुश मौर्या उर्फ बाबा ने एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी दिलाने के बहाने उसे अपनी लग्जरी गाड़ी में बैठाकर इमलीबांध बाबा मंदिर के जंगल में लेकर गये। वहां उसके साथ गैंगरेप कर वीडियो क्लिप बना ली। छात्रा के विरोध करने पर आरोपियों ने वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी दी थी। और किसी को बताने पर पूरे परिवार को जान से मारने की दी। बदनामी के डर से छात्रा ने यह बात किसी को नही बताई। 27 जून की शाम आरोपी लवकुश व कौशल छात्रा के घर पहुॅचे और वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी देकर छोटी बहन को रात में जंगल में लाने की बात कहकर चले गये। छात्रा जब रात को आरोपियों द्बारा बुलाये गये पते पर नही पहुॅची तो आरोपियों ने गैंगरेप की वीडियो क्लिप पूरे गांव में बांट दिया। वीडियो क्लिप सार्वजनिक होते ही छात्रा के सब्र का बांध टूट गया और उसने अपने साथ हुयी दरिदगी की बात परिजनों को बताई। छात्रा के परिजनों ने आरोपियों के कुकर्मो की शिकायत महिला थाने में की है।
 6 जुलाई- राजधानी के हजरतगंज इलाके में दिनदहाड़े बुजुर्ग महिला रामरती की गला घोट कर हत्या कर दी गई। नवल किशोर रोड निवासी 89 वर्षीय रामरति देवी तीसरी मंजिल पर बने घर में दो बेटे, उनके परिवार व एक स्व. बेटे के परिवार के साथ रहती थी। रामरती की बहु शारदा ने बताया था कि दोपहर करीब 2:30 के वक्त उसने रामरती को खाना दिया। इसके बाद शारदा अपने कमरे में टीवी देखने लगी। परिजनों ने बताया की रामरती खाना खाने के बाद हमेशा सोने के लिए अपने कमरे में चली जाती थी। करीब तीन बजे दूसरी बहु सरला •ाी उनके कमरे से चली आई।जब परिवार वालों ने  देखा तो महिला के मुंह पर तकिया रखी हुई थी और उनके सिर पर किसी •ाारी वास्तु से वार किया गया था। पूरा बिस्तर खून से सना था। जिसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया।

22 जुलाई- राजधानी के मानकनगर इलाके में रहने वाली एक विवाहिता को दहेज के लिए सूली पर चढ़ा दिया गया। प्राइवेट कम्पनी कर्मचारी विनोद शर्मा पत्नी 35 वर्षीय संतोष कुमारी व दो बच्चों के साथ रामप्रसाद खेड़ा में रहता था। संतोष की मां तेजकुमारी ने आरोप लगाया था कि बीते 18 जुलाई को विनोद पत्नी संतोष को अधमरी अवस्था में मायके छोड़कर चला गया। परिवार वालों ने संतोष को इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल में •ार्ती कराया, जहां 22 की देर रात उसकी मौत हो गयी थी। पुलिस ने इस मामले में संतोष के पति विनोद के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली है। लेकिन गिरफ़्तारी के नाम पर आज तक कुछ नहीं हुआ।


25 जुलाई- आशियाना थानाक्षेत्र के खजाना मार्केट के पास बने नाले में शनिवार सुबह महिला का अर्धनग्न शव पड़ा देखा गया। जिसकी सूचना राहगीरों ने पुलिस को दी। सूचना पाकर मौके पर आशियाना पुलिस पहुंची और शव को आनन-फानन में बाहर निकलवाया। पहचान कराने के लिए आस-पास के लोगो से पहचान कराने की कोशिश की लेकिन महिला की पहचान नही हो सकी। आशंका जताई जा रही है महिला की बलात्कार के बाद हत्या कर शव पहचान छिपाने के नियत से नाले में ड्डफेका गया है। महिला की शिनाख्त नहीं हो सकी है। राजधानी के अन्य थानो और आस पास के जिलों में •ाी महिला की गुमशुदगी दर्ज होने की जानकारी जुटाई जा रही है।

#महिला सुरक्षा #राजधानी #पुलिस 

Friday, 24 July 2015

जिस्मफरोशी की गिरफ्त में राजधानी


इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। शहर में सेक्स का कारोबार दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। शहर की मशहूर सेक्स रैकेट संचालिका सायरा की हत्या के बाद इस धंधे में लिप्त लोगो में आगे बढ़ने की होड़ मच गई है। अब तक जो सायरा के विरोधी थे और उसकी पहुंच के चलते अपने धंधे में आगे नहीं बढ़ पा रहे थे वो जिस्मफरोशी का धंधा करने वाले  उसकी हत्या के बाद इस धंधे में अपना अधिपत्य जमाने में लगे हुए है। माौजूदा समय में राजधानी के गली चौराहों से लेकर अपार्टमेंट और पार्लर के अंदर ये जिस्म फरोशी का धंधा खूब फल फूल रहा है। शहर में हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का चलन काफी बढ़ गया है। २प्रदेश की राजधानी जिस्मफरोशी का अडडा बनती जा रही है।  पिछल्ले साल भर  में सेक्स रैकेट पकडे जाने की घटनाओं को देखते हुए ये बात सच प्रतीत होती है।
सफेदपोशो का रहता है हाथ
अब तक जितने भी  हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट पकडे गये है उनमें सफेदपोशो की संलिप्ता की बात सामने आई है मगर मामला खादीधारियों से जुड़ा होने के कारण दबा दिया जाता है सायरा का मामला हो या गोमती नगर एक्सटेंशन का सभी  में सफेदपोशो का नाम सामने आता हुआ दिखाई दिया है। अ•ाी हाल में ही कानपुर में एक सेक्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ जो एक नामी पार्टी के नेता के घर पर ही चल रहा था।



पुलिस का संरक्षण प्राप्त

शहर में जितने •ाी हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट चल रहे है लग•ाग स•ाी को पुलिस का संरक्षण प्राप्त होता है। जिसके एवज में पुलिस को महीने के हिसाव से पैसा दिया जाता है। बिना पुलिस के संरक्षण के इतने बड़े स्तर पर जिस्मफरोशी का धंधा चलना आश्चर्यजनक लगता है। जब क•ाी ऊपर से दबाव पड़ता है तो पुलिस छोटे स्तर पर काम करने वाले जिस्मफरोशियों को पकड़ कर वाहवाही लूट लेती है। जब बड़े स्तर पर चलने वाले हाई प्रोफाइल जिस्म के कारोबारियों को वो छुती तक नही है।

वाटÞस अप बना आसान जरिया
वाटस अप जिस्मफरोशी का धंधा करने वालों के लिए सबसे आसान जरिया बना हुआ है। वाटस अप के जरिये ग्राहको को लडकियों के फोटो •ोज दिये जाते है फिर ग्राहक उनमें से एक लडकी का फोटो वापस •ोजकर अपनी पंसद बताता है जिसके बाद समय और जगह ग्राहक को बता दी जाती है। इस तरह सर्विलांस पर फोन टेप होने का खतरा •ाी नहीं रहता और काम •ाी हो जाता है।

फेसबुक पर भी  सक्रिय
हाई प्रोफाइल जिस्म फरोशी के धंधा •ाी अब हाई टेक हो गया है इंटरनेट और फेसबुक पर •ाी सेक्स का कारोबार बड़ा फल फूल रहा है। फेसबुक पर पेज बनाकर या अलग अलग नाम की आईडी बनाकर नैट पर सक्रिय लोगों में अपने ग्राहक को तलाश करते है। इसमें पकडे जाने का खतरा •ाी कम रहता है। पैसे का लेन देन •ाी एकाउंट के जरिये हो जाता है या क्रेडिट कार्ड •ाी इस्तेमाल किया जाता है।

विदेशी लडकिया है डिमांड में
शहर के अंदर चल रहे हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट में इंडियन लडकियों के साथ विदेशी लडकियों की •ाी डिमांड बढ़ गई है। विदेशी लडकियों की सप्लाई डिमांड आने पर की जाती है जिसके लिए सेक्स रैकेट संचालक ग्राहक से मोटी रकम वसूल करते है। अ•ाी हाल में ही गोमती नगर में पकड़ा गया हाई प्रोफाइल सेक्स रेकेट में विदेशी लडकिया •ाी पाई गई थी जिसमें राशियन लडकियों की संख्या ज्सादा थी। इसके अतिरिक्त शहर में पढ़ने आने वाली लडकियां •ाी पैसे के चक्कर में इस धंधे में स्वत: ही शामिल हो रही है।

शहर के ये इलाके बने अडडा
हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट चलाने वालों के लिए गोमती नगर और इंदिरा नगर का इलाका सबसे पंसदीदा है यहां पर रहने वाले लोग •ाी हाई प्रोफाइल के है इसके अलावा यहां पर अपार्टमेंट में रहने वाले लोग एक दूसरे से ज्यादा मतलब •ाी नहीं रखते जिसकी वजह से इनको किसी प्रकार का विरोध •ाी नहीं झेलना पड़ता है। शहर के प्रमुख चौराहो पर शाम होते ही कालगर्ल्स का जमावड़ा लग जाता है। इन चौराहो में जीपीओ, नाका, चारबाग , कैसरबाग, रायल होटल, पालीटेक्नि प्रमुख है जबकि इलाको में मड़ियाव, पहाड़पुर, गोमती नगर आदि है। अपार्टमेंट कल्चर के चलते •ाी ये धंध फल फूल रहा है।
शहर में पकड़े गये हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट
केस नंबर 1  जनवरी माह में गोमती नगर के एक अपार्टमेंट में हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट पकड़ा गया था ये अपार्टमेंट इलाहाबाद डेवलपमेंट आथरिटी के वीसी का था जो किराये पर उठा हुआ था। पुलिस की छापेमारी में तीन कॉलगर्ल्स, सैक्स रैकेट का संचालक प्रॉपर्टी डीलर, बसपा नेता एनपी सिंह, आईएमआरटी कॉलेज के प्रोफेसर अनुराग सिंह, उनका ड्राइवर •ाूपेंद्र और रैकेट में शामिल अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था।

केस नंबर दो :::: दो दिन पहले ही पुलिस ने चिनहट के शिवपुरी कालोनी के एक किराए के मकान से संचालिका समेत तीन लड़कियों और उसके तीन ग्राहकों को गिरफ्तार किया है। बाराबंकी में तैनात सिपाही के घर को किराए पर लेकर रैकेट की संचालिका मधु उर्फ सरिता श्रीवास्तव यह धंधा चला रही थी और जहां बाराबंकी व शहर  के तमाम बड़ें लोगो का आना जाना था। पुलिस ने संचालिका समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।

केस नंबर तीन::::::  पिछल्ले साल राजधानी के सबसे पॉश इलाके हजरतगंज में लीला के सामने •ाी एक हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट पकड़ा गया था जो एक गलैक्सी ब्यूटी पार्लर में चल रहा था।
#सेक्स रेकेट #राजधानी #हाई प्रोफाइल #sex recket #lucknow #sex hub

मुकदमो में सजा दिला पुलिस रोकेगी अपराधियों का प्रमोशन


इन्टरवल एक्सप्रेस
क्रासर- छोटे मुकदमों में सजा दिलाने की पुलिस द्वारा शुरु हुई कवायद
दो साल से अधिक सजा पाने वाले नहीं लड़ सकते चुनाव


लखनऊ। अपराध और राजनीति का बहुत पुराना नाता है। वर्तमान समस में  पुलिस और कानून से बचने के लिए राजनीति अपराधियों की शरण स्थल बन गई है। छोटे मोटे अपराध करके राजनीति के जरिये बाहुबली बनने की प्रक्रिया बहुत असान है क्योकि राजनीति में आने के लिए किसी डिग्री चरित्र का होना आवश्यक नहीं होता है बस जरुरी है तो आपके पास वोट बैंक का होना । फिर चाहे वो वोट बैंक बंदूक की नोक पर ही क्यो न हो। २प्रदेश की राजनीति में ऐसे बहुत से माननीय है जो अपराध के जरिये राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके है और वो काफी हद तक सफल भी  हुए है। सभी  प्रमुख राजनैतिक पार्टियों में कोई न कोई बाहुबली जरुर है जिनको पार्टी ने स्वीकार नहीं किया उन्होने अपनी ही पार्टी बनाकर राजनीति करना शुरु कर दी है। लेकिन अब पुलिस महकमा ऐसे अपराधियों को राजनीति में की शरण में जाने से रोकने के लिए रणनीति बना रही है जिससे आने वाले समय में अपराधी प्रवृत्ति के लोग राजनीति की आड़ में अपना गैरकानूनी काम नही कर पायेगें।

अपराधो और डर के दम पर कायम करते है रुतबा
छोटे मोटे अपराधो से जयारम की दुनिया में कदम रखने वाले अपराधियों के लिए सबसे बड़ा मकसद होता है अपने क्षेत्र में रुतबा कायम करना। जब तक क्षेत्र में रुतबा और डर कायम नहीं होता तब तक माफिया कहलाने का श्रेय नहीं मिल पाता। एक बार अपने क्षेत्र में रुतबा कायम हो गया तो उसके बाद राजनीति के क्षेत्र में आसानी से दाखिल हुआ जा सकता है। लोगों में अपनी दहशत पैदा करने के लिए अपराध सबसे आसान तरीका होता है। अपराधियों को कई बार वर्चस्व की लडाई में अपने ही क्षेत्र के अपराधियों से लड़ना पड़ता है। इस वर्चस्व की लडाई में कई मासूम लोगों को •ाी जान से हाथ धोना पड़ जाता है अंत में जो जीत जाता है वो क्षेत्र का माफिया बन जाता है और यही से शुरु होती उसकी राजनीति की पारी।




अपराध के जरिये राजनीति में प्रवेश
क्षेत्र में वर्चस्व कायम होने के बाद अपराधी प्रवृत्ति के लोग राजनीति से अपनी जिंदगी की दूसरी पारी की शुरुआत करते है। इसके लिए वो किसी एक पार्टी का दामन थाम लेते है और फिर वही से शुरु होती है अपराध का राजनीतिकरण। राजनीति में आने के बाद इन अपराधियों का रुतबा और बढ़ जाता है। जिससे इनको छोटे मोटे केस में पुलिस का डर भी  खत्म हो जाता है। वर्तमान में राजनीति अपराधियों की पनाहगाह हो गई। जिसमें पार्टियों की भूमिका ज्यादा होती है। राजनीतिक पार्टी राजनीति में अपराधियो को चुनाव लड़ने की मुखालफत तो करती है मगर चुनाव में अपनी ही पार्टी से टिकट देने में पीछे नही हटती।

अपराध के जरिये राजनीति में आने वालों के लिए पुलिस के अ•िायोजन निदेशालय ने बदमाशों के खिलाफ कोर्ट में चल रहे मुकदमों में पैरवी तेज कर उन्हें सजा दिलाने की मुहिम चलाई है। अफसरों का मानना है कि अपराध कर राजनीति में उतरने के बदमाशों के मंसूबों को उन्हें सजा दिलाकर रोका जा सकता है। इसके लिए अ•िायोजन निदेशालय ने कवायद शुरु कर  दी है। अगर अपराधी को दो साल की •ाी सजा मिल जाए तो उसके राजनीति में पहुंचने के मंसूबे कामयाब नहीं होंगे।

प्रदेश भर  में की जायेगी अभियोजन  अधिकारियो की नियुक्ति
पुलिस के अ•िायोजन निदेशालय द्वारा जल्द ही प्रदेश में अ•िायोजन अधिकारी नियुक्ति किये जायेगे जिससे केस पुलिस की तरफ से केस और मजबूत होगा। खासकर उन केसों में जिनमें पुलिस वादी होती है उन केसों को मजबूती से लड़कर ऐसे बदमाशों को सजा दिलाई जायेगी और अ•िायोजन निदेशालय इस बात पर •ाी सख्त है कि जो काफी समय से लम्बित मामले है उनका निस्तारण जल्द से जल्द हो। 17 सितंबर 2012 से 30 जून 2015 के दौरान दर्ज 6381 अ•िायोगों में से 2379 निस्तारित कराते हुए 1161 मामलों में सजा दिलाने में कामयाबी हासिल हुई है। 13 जुलाई से 13 अगस्त 2015 के दौरान शातिर अपराधियों को सजा दिलाने और उनकी जमानत निरस्त कराने का अ•िायान चलाया जा रहा है।

संविदा पर रखे जायेगें रिटायर्ड अफसर
पुलिस की तरफ से पैरवी करने वाले संविदा पर रिटायर्ड अफसर होगे। अ•िायोजन निदेशालय पुलिस वि•ााग से रिटायर्ड हो चुके तेज तर्रार अधिकारियों को संविदा पर रखने की तैयारी कर रहा है।

छोटे अपराधो में सजा दिलाकर राजनीति प्रवेश पर रोक
दो साल तक की सजा पाये हुए अपराधी चुनाव नहीं लड़ सकते है ऐसे में पुलिस अ•िायोजन निदेशालय बड़े मुकदमों में न पड़कर छोटे मोटे केसों की मजबूत पैरवी करके सजा दिलाने की कोशिश में लगा है। दो साल तक की सजा के प्रावधान वाले केसों में अ•िायोजन वि•ााग आरोपी को सजा दिलाकर उनके राजनीति के दरवाजे बंद करने की कोशिश में लगा है यदि ऐसा ही होता रहा है तो आने वाले समय में राजनीति में अपराधियों की पनाहगाह नहीं बन पायेगी।

राजनीति में अपराधियों की भागीदारी
यूपी विधानसभा  के 403 विधायकों की सूचीं में से लगभग  47 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) के अनुसार ये दावा किया गया है। 2012 के विधान स•ाा चुनाव के बाद एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) के अनुसार 224 विधायकों में से 111 दागी विधायकों के साथ सपा इस दौड़ में सबसे आगे है। भजपा में 25 दागी विधायक, बसपा में 29, और कांग्रेस में 13 दागी विधायक है। एडीआर की रपिोर्ट के अनुसार 189 विधायकों ने पर्चा दाखिल करते हुए अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होने का उल्लेख किया। अगर हम इस आकड़े ही तुलना 2007 के 403 विधानस•ाा सीट के करें तो 140 पर यानी 35 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज है। यह संख्या 2012 विधानस•ाा चुनाव से काफी कम थी।

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Sunday, 12 July 2015

मुसलमानों में पैठ बनाने के लिए पार्टियों की अफ्तार पार्टी

इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। रमजान के पवित्र महीने में रोजाअफ्तार के जरिये राजनीतिक दल वोट बैक की राजनीति करने में भी  पीछे नहीं हट रहे है। प्रदेश का मुस्लिम वोट बैंंक सपा सरकार का माना जाता है मगर इस बार नई पार्टियां सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध मारने की कोशिश में लगी है। उनकी इस कोशिश में मुस्लिम समुदाय का पवित्र महीना रमजान जरिया बना हुआ है। इसके अलावा संघ भी  अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को तोड़ने के लिए रमजान में रोजा अफ्तार का सहारा लिये हुए है। रोजा अफ्तार के जरिये मुस्लिम वोट बैंक में सेंध मारने की इन पार्टियों की कोशिश कितनी कारगार साबित होगी ये तो समय बतायेगा फिलहाल प्रदेश में आम आदमी पार्टी और औवेशी की एमआईएम पार्टी की मुस्लिम के बीच पैठ बनाने से सपा और बसपा की धड़कने बढ़नी तय है।

मुस्लिम समुदाय की नब्ज टटोलने आये थे ओवैशी
प्रदेया में प्रशासन द्वारा औवेशी को जन सभा पर रोक लगाने के बाद औवेशी ने रोजा अफ्तार के जरिये लोगों में पैठ बनानी शुरु कर दी है।अभी  कुछ दिनो पहले मेरठ में औवेशी की पार्टी एमआईएमआईएम के द्वारा मेरठ में रोजा अफ्तार पार्टी का आयोजन हुआ। जिसमें एमआईएमआईएम के अध्यक्ष औवेशी ने खुद शिरकत की। वो अफ्तार के दौरान लोगो से मिले भी  और इसी बहाने अपनी पार्टी की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की। अंत में वो जाते जाते इस बात का ऐलान भी  कर गये कि अगामी विधानसभा  चुनाव में उनकी पार्टी प्रदेश में चुनाव लड़ेगी। २२उनकी इस घोषणा से विरोधी पार्टियों में हलचल मच गई है।

आम आदमी पार्टी ने भी  करवाया रोजा अफ्तार
दिल्ली में अप्रत्याशित जीत के बाद आम आदमी पार्टी का अगला मिशन उत्तर प्रदेश है। यहां की राजनीति विकास पर कम ओर जातिवाद पर ज्यादा होती है। प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभाते  है। इसी के मददे नजर आम आदमी पार्टी ने अभी  से मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति शुरु कर दी है। इसी के तहत रोजा अफ्तार पार्टी का आयोजन पार्टी की तरफ से राजधानी स्थित लालबाग पैलेस में किया गया। जिसमें आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह के साथ शिया सुन्नी धर्मगुरु भी  शमिल हुए। जो राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मुस्लिम विरोधी छवि तोड़ने की फिराक में संघ
अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को बदलने के लिए बेताब संघ ने अपनी परंपरा को तोड़ते हुए रमजान में पहली बार रोजा अफ्तार का आयोजन किया। यह इफ्तार पार्टी संसद के एनेक्सी में आयोजित की गयी इस पार्टी में देश की मुस्लिम हस्तियों के साथ ही कई देशों के मुस्लिम राजदूतों ने शिरकत की। संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इस रोजा इफ्तार का आयोजन किया था। संघ के इस रोजा इफ्तार को मुसलमानों के करीब आने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मुस्लिम समुदाय के बीच संघ की छवि एक कटटरवादी पार्टी के तौर पर है जिसको बदलने की कवायद में संघ लगी हुई है। यदि ऐसा सं•ाव हुआ तो प्रदेश में अगामी विधानस•ाा चुनाव में संघ समर्थित •ााजपा को चुनावी फायदा मिलेगा।

सपा हर साल कराती है अफ्तार
समाजवादी पार्टी का मुस्लिम समुदाय से और मुस्लिम समुदाय का पार्टी से लगाव जग जाहिर है। पार्टी को प्रदेश का मुस्लिम समुदाय हिजैषी के रुप में देखता रहा है। पार्टी हर साल रमजान में रोजा अफ्तार पार्टी करवाती है। इस रोजा अफ्तार में मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी के कई बड़े नेता शिरकत •ाी करते है। हाल ही में राजधानी के ऐशबाग ईद गाह मे पार्टी की नगर इकाई द्वारा रोजा अफ्तार का आयोजन करवाया गया था जिसमें शिवपाल अहमद हसन जैसे बड़े नेता शामिल •ाी हुए थे।

#पार्टियों का  रोज़ा अफ्तार #सपा #संघ #भाजपा #उत्तर प्रदेश चुनाव २०१७

Wednesday, 8 July 2015

यात्रियों के लिए बने बस स्टॉप पर अवैध कब्जे


इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। सिटी बस सेवा के चलते शहर में जगह जगह पर बस स्टॉप बने हुए थे इन बस स्टापो पर बस को रुकना होता है जहां से यात्रियों को बस मिलती है। वर्तमान समय में महानगर में अनेक स्थानों पर बनाए गए बस स्टॉप पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जे कर लिए हैं। बस स्टाप पर अवैध कब्जा करके दुकान खोल कर बैठे हैं तो कहीं पर सब्जियों की दुकान रखकर बैठे हैं। इतना ही नहीं शहर के कई बस स्टापों पर बसे रुकती तक नहीं है। इसके अलावा बस स्टाप रिक्शा वालों की पनाहगाह बनते जा रहे है। गर्मी बरसात और जाडे में ये बस स्टाप इनके लिए छत का काम करते है। ये बस स्टाप को जिन उददेश्य के साथ खोला गया था वो उददेश्य से उनका पालन नहीं हो रहा है बल्कि अवैध कब्जेदारों के लिए ये स्टाप जन्नत साबित हाक रहे है।

शहर के ज्यादातर स्टाप पर अवैध कब्जा
सिटी बस स्टाप पर अवैध रूप से चल रहीं दुकानें हटाई जाएंगी। सिटी ट्रांसपोर्ट की ओर से शहर के 83 बस स्टापों का सर्वे किया गया। जिसमें से ज्यादातर बस स्टापों पर लोगो ने अवैध कब्जा कर रखा है यहां पर यात्रियों को बस का इंतजार नही करना पड़ता बल्कि वहां पर पान मसाला, सिगरेट सब्जी और स्टैंड के रुप में ये बस स्टापो का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। वि•ााग •ाी इस अवैध कब्जे को रोकने में असफल साबित हो रहा है।

क्षतिग्रस्त तक हो गये है बस स्टाप
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश बस स्टापों की हालत ऐसी है कि वहां पर जानवर •ाी बैठना नहीं पसंद करते। इसके अलावा इन बस स्टापों पर कब्जा करने वालो ने बैठने की सीटे तक निकाल दी है। बस स्टाप की छते जर्जर हालत में है उसमें से बरसात में पानी और गर्मी में धूप आती रहती है जिससे यात्रियों को आराम के बजाय तकलीफ ज्यादा उठानी पड़ती है। सिटी ट्रांसपोर्ट के दो अधिकारियों की टीम ने शहर के 83 बस स्टापों का सर्वे किया था।

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
बस स्टापो पर अवैध रुप से कब्जा कर के उन जगहों पर पान मसाले की दुकाने और सब्जि की दुकानें लगी हुई है। जिसपर जिम्मेदार वि•ााग आँख बंद करे हुए बैठा है। जब क•ाी कोई ऊपर से आदेश आता है तो आनन फानन में कार्रवाई के नाम पर एक दो बस स्टाप को खाली करवा दिया जाता है। जिससे पूरे अ•िायान का नाम देकर बंद कर दिया जाता है। शहर के कई बस स्टाप ऐसे है जहां पर यात्री तो खड़े होते है मगर बस नहीं रुकती है। इसके साथ ही उन स्टापों पर •ाी कोई कार्रवाई नही होती है जहां पर पार्किंग बना रखी है।

लिया जाता है सुविधा शुल्क
शहर के कई स्टाप ऐसे है जहां पर लोगो ने अवैध कब्जा कर दुकाने खोल रखी है इसके बदले में वो पुलिस और नगर निगम के कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देते है। वि•ाागो की मिली •ागत से अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद है। प्रतिदिन और प्रति सप्ताह के हिसाब से  इन दुकान दारों से सुविधा शुल्क लिया जाता है। सूत्रो के अनुसार पान की गुमटी से 50 रुपये व सब्जी की दुकानों से 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पैसा लिया जाता है।

इन स्टापों पर अवैध कब्जा
बस स्टापों की जर्जर हालत और अवैध कब्जे के मामले में खुर्रम नगर रहीम नगर, मुंशी पुलिया से लेकर चारबाग तक के बस स्टापो पर अवैध कब्जेदारों का बोलबाला है। शहर के 70 प्रतिशत बस स्टाप या तो खराब है या तो उनपर अवैध कब्जेदारो का बोलबाला है। इनके कब्जे से सबसे ज्यादा दिक्कत जो होती है वो यात्रियो को होती है। यात्रियो की सुविधा के लिए बने ये बस स्टाप आज उनकी ही परेशानियों को बढ़ा रहे है।

प्रदेश में बिना मुख्मंत्री चेहरे के चुनाव लड़ेगी भाजपा


इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। भाजपा के पतन से लेकर उत्थान तक उत्तर प्रदेश का बहुत बड़ा योगदान रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के नेतृत्व में भजपा ने 55 सीटे जीत कर इतिहास रच दिया था मगर फिर पार्टी के अंदर मची खीचतान ने पार्टी को समेट कर मात्र 10 सीटो पर पहुंचा दिया। पार्टी एक बार फिर से प्रदेश में अपने पतन से उत्थान की ओर जाती दिखाई दे रही है। इसबार पार्टी अलाकामान पिछल्ली बार की गलतियों को नहीं दोहराना चाहते है इसलिए  प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा  चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बिना किसी मुखौटे के चुनाव में उतरेगी। सूत्रों के अनुसार पार्टी विरोधी अंदरुनी गतिविधियों को रोकने के लिए आलाकमान ने फैसला किया है कि पार्टी बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव लडने की तैयारी में है।

गुटबाजी के चलते नहीं होगा मुख्यमंत्री उम्मीदवार
भाजपा  लगभग  दो दशक के ऊपर के समय के बाद प्रदेश में पार्टी का रुतबा बढा है। 16वी लोकसभ  में भाजपा ने जिस मोदी चेहरे के दम पर चुनाव लड़ कर अ•ाूतपूर्व चुनाव जीता था  वो ही चेहरा इस बार के प्रदेश विधानसभा  चुनाव में भी  होगा। पार्टी के अंदर मची उठा पटक और खीचतान के चलते पार्टी के चिंतक इस बार पार्टी को बिना चेहरे के साथ सीएम इन वेटिंग की तर्ज पर चुनाव लड़ने के मूड़ में है। प्रदेश में भाजपा  की सबसे बड़ी मुश्किल अपने ही लोगों को समझाना ओर गुटबाजी से दूर रखकर चुनाव लड़ना है। प्रदेश की भाजपा  कमेटी के अंदर हमेशा ही खीचतान और गुटवाजी चलती रहती थी जिसके कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है।

पार्टी के नेताओं ने शुरु की मुहीम
प्रदेश भाजपा के कई बडे नेताओं और उनके समर्थकों ने फेसबुक और सोशल मीडिया पर अपने को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते हुए जंग छेड दी है। इन बड़े नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई से लेकर योगी आदित्यनाथ, वरुण गांधी, उमा भारती, दिनेश शर्मा, जैसे बड़े नेता शामिल है। इन नेताओं की ये राजनैतिक महत्वाकांक्षा ही पार्टी के अंदर फूट डालजने का काम कर रही है। ये भी  एक वजह है कि पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री का चेहरा नही घोषित करना चाहता। यदि किसी एक को भी  पार्टी मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तुत करती है तो ऐसे में पार्टी के अंदर जो भूचाल मचेगा वो पार्टी को पहले की तरह गर्त में लेकर चला जायेगा जैसे अटल बिहारी के चुनाव के बाद हुआ था। उस समय भी  भाजपा  के प्रदेश नेताओं की आपसी खीचतान का ही नतीजा था पार्टी पतन की ओर अगसर हो गई थी। इस बार अलाकमान हर हाल में प्रदेश चुनाव में अपनी धमक जमाने की कोशिश में लगा है।

ओम मथुर के जरिये लगाम
अगामी विधानसभ  चुनाव के लिए प्रदेश प्र•ाारी के तौर पर ओम मथुर को बनाया है। ओम मथुर को प्रदेश प्र•ाारी बनाने के पीछे का मकसद पार्टी के अंदर गुटबाजी को रोकना है। बाहरी व्यक्ति होने के कारण पार्टी में एक दूसरे के विरोधी नेता से वो अलग तौर पर भी  जुडे रहेगे जिससे वो पार्टी के अंदर हो रही खीचतान को रोकने में सफल हो सकेगे। ओम मथुर को लाने का मुख्य कारण पार्टी के अंदर विरोध स्वर को दबाने का है यदि पार्टी किसी यही के नेता को प्र•ाारी बनाती तो ये तय था कि विरोध के स्वर बुलंद हो जाते और चुनाव से पहले ही पार्टी को अपने ही लोगों से लड़ना पड़ता ।

कांग्रेस की तर्ज पर भाजपा 
कांग्रेस पार्टी का एक नियम रहा है कि वो बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ती है और यदि चुनाव जीत जाती है तो सर्वसम्मति से चुने गये प्रत्शशियों के माध्यम से उन्ही के बीच का नेता चुन लेती है। इस तरह पार्टी में विरोध के आसार काफी कम होते है। भाजपा हमेशा से एक चंहरे के साथ चुनाव लड़ती आई है लोकसभा  चुनाव भी  उसने मोदी के चेहरे के साथ लड़ा मगर विधानसभा  चुनाव में परिस्थितियां अलग होती है।
अपने अंदर हो रहे बुलद विरोध स्वरों की वजह से पार्टी बिना चेहरे के ही प्रदेश में होने वाल ेविधानस•ाा चुनाव में लड़ेगी।

प्रदेश में भाजपा का इतिहास
मौजूदा हालातों पर नजर डाले तो कभी  उत्तर प्रदेश की राजनीति में नंबर एक पर रहने वाली भाजपा एक नंबर से चार नंबर पर कैसे पहुँच गई, इसका जवाब किसी भी  बड़े भजपा नेता के पास नहीं है। क्योकि इन्ही नेताओं के दम पर ही पार्टी उत्थन से पतन की ओर अग्रसर हुई थी। सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चलने वाली •ाारतीय जनता पार्टी कब व्यक्तिवादी और क्षेत्रवादी बन गई, इसका आ•ाास पार्टी नेताओं को तब हुआ जब पार्टी गर्त में जाने लगी। आज •ााजपा की हालत ये है कि जो पार्टियाँ अपने प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव कार्यकतार्ओं के सुझाव से करती थी, आज उस पार्टी के अध्यक्ष दिल्ली से मनोनीत होने लगे हैं। •ााजपा का यूपी में एक सुनहरा दौर तब था जब प्रदेश में कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, लालजी टंडन, ओम प्रकाश सिंह और राजनाथ सिंह ये पांच प्रमुख नेता हुआ करते थे लेकिन 1999 में कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मुहिम से •ााजपा में जो गुटबाजी शुरू हुई उसने इस सामूहिक नेतृत्व को छिन्न-•िान्न कर दिया। लालकृष्ण आडवाणी के करीबी कल्याण सिंह सीधे अटल बिहारी वाजपेयी से टकराए। इससे पार्टी में अगड़ों और पिछड़ों का सामंजस्य टूट गया। कल्याण सिंह को दोबारा पार्टी में लाया गया।1993 में राम लहर में मुलायम कांशीराम का गठजोड़ •ाी हवा हो गया था। 'जय श्रीराम' का नारा कामयाब रहा। इस गठबंधन को तोड़ने और 'हिन्दू समाज की एकजुटता के लिए •ााजपा ने मायावती को मुख्यमंत्री बनवाया। •ााजपा के पतन में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अहम •ाूमिका नि•ााई। मायावती ने •ााजपा से जुड़े ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध मारकर •ााजपा के पतन की नई इबारत लिख दी थी। मायावती ने धीरे-धीरे •ााजपा के सवर्ण मतदाताओ को सत्ता में हिस्सेदारी का लालच देकर अपनी ओर मिला लिया। पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी बीमार होकर सक्रिय राजनीति से अलग हैं। अब केवल वह •ााजपा मुख्यालय में पोस्टरों और बैनरों पर ही दिखाई देते थे। मई, 2007 में विधानस•ाा चुनाव कल्याण सिंह के नेतृत्व में लड़ा गया,मगर उन चुनावो में बसपा आंधी के सामने स•ाी राजनैतिक पार्टियों ने दम तोड़ दिया।  इस बार •ााजपा अगडो ओर पिछडों को लेकर ही चलने की नीयत में है लोकस•ाा 2014 के चुनावों ने •ााजपा में एक बार फिर उम्मीद जगा दी है कि वो प्रदेश की राजनीति में चौथे नंबर से ऊपर उठकर एक नंबर की हैसियत पा सकती है।

ऐसी लापरवाही तो क्यों ना हो लूट


इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। राजधानी में अपराधियों के हौसले बुलंद है और कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। लूट हत्या और बलात्कार जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए लाख कोशिश करने के बाद •ाी इन घअनाओं पर रोक लगाने में नाकाम रही है। साल के शुरुवाती छह महीने में ही कैश लूट की तीन बड़ी घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिये है। इन घटनाओं को रोकने में जितनी जिम्मेदारी पुलिस की होती है उतनी ही पैसा ले जाने वाली सिक्योरिटी कंपनियों की •ाी होती है। इन सिक्योरिटी गाड़ियों में सुरक्षा के जो मानक होते  है उनको वो पूरा नहीं कर रहे। लगातार हो रही घटनाओं के बाद •ाी सिक्योरिटी कंपनी पैसे ले जाने में गं•ाीरता नहीं बरत रही है।

लापरवाही हादसो की वजह
बैंक से पैसे को इधर से उधर ले जाने के लिए  लगी हुई कैश वैन की लापरवाही •ाी हादसे की मुख्य वजह है करोड़ो रुपये को ले जाने वाली गाड़ियों की लापरवाही तो देखो कि गाड़ी में पैसा है और गाड़ी का दरवाजा खुला है। ऐसे किसी एक दिन का नहीं है। शहर के अंदर से पैसा ले जाने वाली कैश वैन अक्सर शहर के बाहर निकलते ही गाड़ी के दरवाजे खोल देते  है। सुरक्षा के लिए दी गई बंदूक •ाी ऐसे में कोई काम नहीं करती है। जब शहर के अंदर ही अपराधी लूट की इतनी बड़ी घटना को खुले तौर पर अंजाम दे सकते है तो शहर के बाहर तो उनके लिए कोई दिक्कत ही नहीं होगी। कैश वैन के कर्मचारियों की ये लापरवाही उनकी जान पर •ाी •ाारी पड़ सकती है। मगर इसके बाद •ाी वो अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे। लापरवाही की सबसे बड़ी घटना कैश वैन से एक करोड़ रुपये की लूट थी जिसमें पैसा ट्रांसफर करने गये कर्मचारी ने वैन का दरवाजा ही नहीं लॉक किया था और वहां पर निगरानी के लिए खड़ें कर्मचारी •ाी लापरवाही के चलते वैन से लूट हो गई और पास में खड़े कर्मचारियों को •ानक तक नही लगी।

हाल की घटनाएं
लखनऊ के हसनगंज इलाके में  बदमाशों ने तीन गार्डों की हत्या कर दिन-दहाड़े लाखो  की लूट की वारदात को अंजाम दिया। बदमाश लखनऊ यूनिवर्सिटी के नजदीक स्थित एचडीएफसी बैंक के कैश वैन से करोड़ों का कैश लेकर फरार हो गए। पुलिस के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक के एटीएम में कैश ट्रांसफर की प्रक्रिया चल रही थी तभी  पल्सर बाइक पर सवार दो बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। बदमाशों ने कैश वैन में स्थित तीन  गार्डों को गोली मार दी और करीब 55 लाख रुपए लेकर फरार हो गए।
2::::जनवरी माह में सबसे व्यस्त राणा प्रताप मार्ग पर मौजूद बैंक आॅफ बड़ौदा के एटीएम में पैसे डालने गई एक वैन से 1.37 करोड़ रुपये की लूट ने पुलिस के होश उड़ा दिए हैं। पुलिस के मुताबिक, ड्राइवर समेत तीन लोग राइटर सेफगार्ड सिक्यॉरिटी एजेंसी की वैन से दीप होटेल के सामने वाले एटीएम में पैसे डालने गए थे। तीनों कर्मचारी वैन से 55 लाख रुपये निकालकर एटीएम के अंदर चले गए, लेकिन वैन का दरवाजा लॉक ही नहीं किया। जब तक तीनों एटीएम से बाहर लौटते, उसमें रखे करीब 1 करोड़ 37 लाख रुपये लूट लिए गए। बदमाशों ने इतनी सफाई से इस वारदात को अंजाम दिया कि वैन में मौजूद तीन कर्मचारियों को इसकी कानोकान खबर तक नहीं लग सकी।

3::: अभी  हाल में ही बाइक सवार तीन बदमाशों ने सरोजनीनगर स्थित गडौरा पुल के पास दिनदहाड़े एटीएम कैशवैन के चालक समेत तीन कर्मचारियों को गोली मारकर छह लाख पचपन हजार रुपये लूट लिए। अचानक हुए हमले में कर्मचारी कुछ समझ पाते उससे पहले ही बदमाशों ने गोलियों की बौछार शुरु कर दी जिसमें घायल एक कर्मचारी की ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान मौत हो गई।