किसी की बाज़ी कैसी घात
वक़्त का पाँसा वक़्त की बात
शौकत परदेसी का शेर मेरे स्वभाव और चरित्र को बयां करता है। महाराष्ट्र की राजनीति में मेरा सबसे अहम किरदार रहा है मैं हमेशा से ही मौके की नजाकत के साथ रहा हूं। कभी कांग्रेस के साथ मेरा बहुत अच्छा गठबंधन रहा। आजादी के बाद से लंबे समय तक मैं कांग्रेस के साथ रहा। इसलिए नहीं कि मैं रहना चाहता था बल्कि इसलिए क्योकि कांग्रेस ने मेरे कंधे से कंधा मिलाकर चाल चली। फिर उसे खुदा होने का एहसास होने लगा और वो मुझे अपने इशारे पर चलाने की कोशिश की । लेकिन
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| फोटो स्त्रोत - इंटरनेट |
मेरा कब, कहां और कैसे इस्तेमाल किया जाए यह आप पर निर्भर करता है। कई लोग कहते है कि मैं उनके साथ हूं। लेकिन ऐसा नहीं है मैं तो हर एक के साथ हूं आप के साथ हूं, सामने वाले के साथ हूं, आपके दुश्मन के भी साथ हूं और आपके मित्र के साथ भी हूं। मैं उसके साथ भी हूं जो नहीं मानता कि मैं उसके साथ हूं। खैर जब लोग कुछ हासिल नहीं कर पाते है, तो मेरी बुराई ही करते रहते है। मुझे इसकी आदत हो गई है। जब वह हासिल करने से चूक जाते है तो अपने को गंगा जल जैसा पवित्र बताकर मां गंगा में गिरने वाले सीवेज की गंदगी की तरह सीधा इल्जाम मेरे ऊपर लगा देते है कि मेरा वक्त सही नहीं था। अगर वक्त सही न होता तो आप वो सोच ही नहीं पाते जो आप सोच रहे है। मैं फिर आप से कहूंगा कि मेरे यानि वक्त के साथ चलने में ही भलाई है मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं कि मैं बहुत ही बलवान हूं, घमंडी हूं, निर्दयी हूं बल्कि इसलिए कह रह रहा हूं कि ताकि आप आगे बढ सके। आप अपने कदमों खुद रोक देते हैं और कहते है कि मेरा वक्त न साथ नहीं दिया तो मुझे बहुत तकलीफ होती है। असल में मैं आपके लक्ष्य खाेने का कारण नहीं होता हूं बल्कि आप खुद होते है क्योकि आप अपने निर्णय लेने की क्षमता खो देते है, इतने इल्जाम लगने के बाद भी मैं बार बार आपको मौका देता रहता हूं। आगे निकल जाने के बाद भी मैं आपको आवाज देता हूं कि अभी भी मेरे साथ आ सकते हो बस चलने की जगह थोड़ी सी दौड़ लगानी पड़ेगी जब आप दौड़ के मेरे पास आ जाएंगे तो यकीन मानिए मैं आपके साथ फिर से कदम से कदम मिला कर चलने लगूंगा। लेकिन आप तो उठते ही नहीं है किस्मत और मेरे सहारे बैठे रहते है। मैं तो घड़ी की सुई के हिसाब से चलता हूं जब आप मेरे सहारे बैठे रहते है तब मैं सेकेंड दर सेकेंड आपके लक्ष्य से आपको दूर लेके जाता हूं लेकेिन मैं आपका दुश्मन नहीं हूं आप रूक सकते है मैं नहीं । मेरा तो चलते रहना ही नियति है। अगर मैं रूक गया तो यह ब्रह्मांड रूक और मैं इतना स्वार्थी नहीं हूं कि सिर्फ आप के लक्ष्य की पूर्ति के लिए मैं पूरे ब्रहमांड को ही खतरे में डाल दूं इसलिए मैं न चाहते हुए भी चलता रहता हूं। भले ही गलत व्यक्ति ही मेरा फायदा क्यों न उठा ले। हमारे साथ चलना ही होगा क्योकि अगर आप मेरे साथ नहीं चलेेगें तो हमारे आप के कदमताल नहीं मिल पाएंगे जिससे न एक जैसी धुन निकलेगी और ना ही एक जैसी चाल होगी। या तो आप पीछे रह जाएंगे या हम। इस कारण कई गलत लोग जो मेरा इस्तेमाल करना सीख जाते है मैं न चाहते हुए भी उनके साथ चलने लगता हूं।
आखिर में आपके लिए शहरयार जी का यह शेर पेश कर रहा हूं
वक़्त को क्यूँ भला बुरा कहिए
तुझ को होना ही था जुदा हम से।।
तुझ को होना ही था जुदा हम से।।
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9918811757

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