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| फोटो स्त्रोत- इंटरनेट |
तभी एक लड़की ब्लैक ड्रेस में स्कूटी खींचते हुए चली आ रही थी। वो पास आकर बोली, एक्सक्यूज मी! मेरी गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही है। क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हैं/ हर किसी की नजर उसको ही देख रही थी। मैंने उससे स्कूटी ली और स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा। मैंने कहा, ‘शायद इसका प्लग खराब है इसलिए स्टार्ट नहीं हो रही है।’ वह बोली, अब मैं क्या करूंगी/ उसकी आवाज में बैचेनी और घबराहट थी। रात की वजह से वह डर रही थी। मैंने उसको हिम्मत देते हुए कहा कि परेशान ना हो। मैं प्लग साफ करके देखता हूं। शायद काम कर जाए। मैं प्लग निकाल कर देखने लगा। तभी वो बोली बर्थ डे पार्टी में गई थी, काफी देर हो गई। दो घंटे से परेशान हूं। अब तो हॉस्टल में भी एंट्री नहीं मिलेगी। मैंने मुस्कुराकर कहा कोई नहीं। ढाई बज ही रहे हैं, थोड़ी देर में सुबह हो जाएगी। फिर चली जाना। उसने कहा, तब तक मैं यहीं खड़ी रहूं/ देखो सब लड़के कैसे देख रहे हैं। उसकी आंखों में थोड़ा गुस्सा और आवाज में बैचेनी थी। मैंने उसे ढांढस बांधते हुए कहा कि घबराओ नहीं। मेरे होते हुए तुम्हें कोई कुछ नहीं करेगा। वो बोली तो फिर तुम सुबह तक मेरे साथ यहीं रूकोगे/ मैंने हंसते हुए कहा कि अरे भाई! मुझे सुबह तक में दो-तीन चाय पीनी है। फिर सुबह का नाश्ता करके ही हॉस्टल वापस जाना है। मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई और वहीं बेंच पर हम दोनों बैठ गए। उसके बाद चाय का दौर चलता रहा और हमारी बातें भी चलती रहीं। सुबह हुई और इत्तेफाक से प्लग लगाते ही गाड़ी भी स्टार्ट हो गई। फिर वो चली गई। उसके बाद से हमारी मुलाकातों का सिलसिला जारी है। आज भी जब चाय की टपरी पर हम दोनों बैठते हैं तो अपना वो पहला दिन जरूर याद करते हैं।

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