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| फोटो स्त्रोत- इंटरनेट |
कैब आ गई है आराम से जाना, हॉस्टल पहुंचकर मुझे फोन करना और अपना ख्याल रखना। ठीक है मां कहते हुए मैं जल्दी से नीचे आ गया। शेयरिंग कैब होने के की वजह से उसमें पहले कोई बैठा था जिसको देखकर एक मिनट के लिए मैं रूक सा गया। कैब में एक खूबसूरत सी लड़की बैठी थी। उसकी आंखें समंदर सी गहरी थी। खुले बाल काले बादलों की तरह घने हुए थे, उसके माथे पर लगी बिंदी जैसे किसी ने चांद में काला टिका लगा दिया हो। मैं उसको देखे ही जा रहा था एक बार तो लगा शायद गलत कैब की तरफ आ गया हूँ। तभी कैब ड्राइवर ने आवाज देते हुए कहा कि भइया आप आगे बैठ जाएं। उसकी आवाज सुन कर मेरा ध्यान उसकी तरफ गया। आगे का गेट खोलते हुए मैं बैठ गया लेकिन बार बार उसको देखने का दिल कर रहा था अब मुड़ मुड़ के देखना भी अच्छा नही लग रहा था इसलिए मैं गाड़ी में लगे शीशे में उसको निहारने लगा। कैब रेलवे स्टेशन की ओर चल दी। मेरे घर से रेलवे स्टेशन की ओर जो रोड जाती है ना भाई साहब क्या बताऊँ इतने गड्ढे इतने गड्ढे है कि अच्छे खासे इंसान की हालत खराब हो जाए। लेकिन उस दिन मुझे एक भी झटका महसूस न हुआ। कैब वाला आपNई धुन में चलाए जा रहा था और मैं अपनी धुन में उसको निहारे जा रहा था। झटके से कभी वो इधर हिलती तो कभी उधर कभी बालो को सही करती तो कभी अपने बैग को संभालती। ऐसे ही हम रेलवे सटेशन के पास पहुच गए। रेलवे स्टेशन के पास बहुत जाम लगा था तो ड्राइवर बोला, कि ट्रॉफिक बहुत है रास्ता खुलने में एक घंटा लग सकता है, स्टेशन सौ मीटर ही रह गया है आप लोग चाहे तो यहीं उतर जाए। मैं तो तुरंत उतर गया क्योकि ट्रैन का समय हो रहा था। लेकिन वो बोली कि मेरे पास दो बैग है एक बहुत भारी है मैं कैसे ले जाऊंगी। मैंने उससे कहा कि अगर प्रॉब्लम न हो तो मैं आपकी हेल्प कर सकता हूं मुझे भी स्टेशन ही जाना है। एक मिनट के लिए तो वह चुप हो गई फिर बोली ओके.... मैंने उसका बैग पीठ पर लादा और अपना बैग हाथ में पकड़ कर चल दिया। आप लोग तो जानते ही होंगे हॉस्टल में रहने वाले लड़को का बैग कितना भारी होता है बस एक जीन्स और 2 टीशर्ट में पूरा महीना निकाल देते है। बीस इतना ही सामान मेरे पास भी था। लेकिन उसका बैग बहुत भारी था मगर मैंने चेहरे पर शिकन नही आने दी आखिर डूड वाला लुक भी तो देना था। कुछ देर में स्टेशन पहुंच गए मैने उसको बैग दिया तो उसने मुझे बस मुस्कुराते हुए थैक्यू बोला। घर से स्टेशन तक के करीब एक घंटे के सफर के दौरान मेरी उससे बस इतनी ही बात हुई। मैं स्टेशन पर पहुंचकर वहां बने वेटिंग रूम में ट्रैन का इंतजार करने लगा। मेरे दिल और दिमाग में उसका ही चेहरा घूम रहा था, तभी मेरे पीछे से एक आवाज आई एक्सक्यूज मी, मैंने पीछे मुड़कर देखा तो कैब वाली लड़की मेरे सामने खड़ी थी, इससे पहले। मैं कुछ समझ पाता उसने कहा क्या मैं यहां बैठ सकती हूँ। मैंने सिर हिलाकर उसको बैठने को कहा। कुछ देर चुपचाप बैठने के बाद मैंने हिम्मत करके उससे पूछा आप कहां जा रही हो तो वह बोली, जयपुर मैं वहां स्टडी करती हूं। मैंने कहा अच्छा मैं भी जयपुर में ही स्टडी कर रहा हूं। इसके बाद हम लोगों की बातचीत शुरु हुई। अभी दस मिनट ही हुए थे कि हमेशा घंटो लेट आनी वाली ट्रेन अपने सही समय पर आ गई। मैंने कहा चलो ट्रैन आ गई है।आप की सीट किस कोच में है ? उसने बोला एस फोर । इत्तेफाक देखें कि ट्रैन में हम दोनों की सीट भी एस फोर कोच में आमने सामने ही थी। तब मुझे एहसास हुआ कि कि कुछ तो किस्मत कनेक्शन है जो हम बार बार मिल रहे है। लखनऊ टू जयपुर सफर के दौरान हम दोनों के बीच काफी बातें हुई जब हम जयपुर पहुंचे तो वह स्टेशन के बाहर आकर ऑटो बुक करने लगी और मैं रूक कर उसको देखने लगे तभी वह पीछे मुड़कर बोली, आप के साथ सफर अच्छा रहा,वक़्त का पता ही नही चला। मैंने कहा हां लेकिन वक़्त बहुत जल्दी गुजर गया। वो बोली अच्छा वक्त ऐसे ही गुजर जाता है। मैंने कहा दुबारा यह अच्छा वक्त कब आएगा। वह बोली ऐसे ही किस्मत में लिखा होगा तो हो जाएगा। मैंने कहा कि, किस्मत लखनऊ से यहां तक एक साथ ले आई। अब किस्मत पर और कितना यकीन करें। वह हंसने लगी और बोली तो अब क्या करें, मैंने कहा कि अब हमें अपना नंबर एक्सचेंज कर लेना चाहिए ताकि आगे किस्मत के मिलाने का इंतजार न करना पड़े..... इस बात को करीब पांच साल से ज्यादा हो गए। अब हमें मिलने के लिए किस्मत का इंतजार नही करना पड़ता। एक बात तो बताना ही भूल गया उस दिन से मैं किस्मत में यकीन करने लगा हूँ।
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