Monday, 9 March 2015

यूपी में बयान बहादुरों का बोलबाला

इन्टरवल एक्सप्रेस
लखनऊ। राजनीति में बयानों के बहुत मायने होते हैं। नेताओं के बयानों से उनकी सोच और विचारधारा का पता चलता है, लेकिन 16वीं लोकसभा के शुरुआत से ही नेताओं द्वारा दिये जाने वाले विवादित बयानों की बाढ़ आ गई है। नेता और बयानों का राजनीति से चोली दमन का साथ है। प्रधानमंत्री से लेकर छुटभैया नेता भी बयानबाजी में पीछे नहीं रहते हंै। बयान देने के पीछे कई कारण होते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में विवादित बयान देने वाले  नेताओं की कमी नहीं है, जिन्होंने समय-समय पर अपने बयानों से सियासी सनसनी पैदा की है। अपने बयानों से चर्चा में रह कर अधिकतर की छवि बयान बहादुर की बन चुकी है। इनके बोल ने विवाद पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
पब्लिसिटी स्टंट
वर्तमान में राजनीति में प्रसिद्ध होने का सबसे अच्छा साधन बयानबाजी है किसी भी मुद्दे पर विवादित बयान देकर सस्ते में हाईलाइट हो जाना सबसे अच्छा तरीका है। थोड़े से समय में राजनीति में पहचान बनाना हो तो विवादित बयान देना जरूरी है। मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए विवादित बयान बेहतरीन तरीका है।

वोट बैंक के लिए बयानबाजी

बहुत से ऐसे नेता हैं जो वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बयान देते हैं। कम्यूनल बयान देने के पीछे सीधा से मकसद अपने संप्रदाय के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करना होता है। वोटों की गोलबंदी करने में नेताओं के लिए सबसे अच्छा हथियार बयान होता है। सांप्रदायिकता वाले बयानों को मीडिया में सुर्खी बनने में समय नहीं  लगता है। बयानों का असर किस तरह होता है उसका नतीजा हाल के ही चुनावों में देखने को भी मिला। धर्म विशेष के खिलाफ बयानबाजी आज की राजनीति का अहम हिस्सा बन गयी है।

विकास नही बयान है मुद्दा

दिल्ली विधानसभा चुनावों को छोड़ दे तो कोई भी ऐसा चुनाव नहीं है जहां विकास का मुद्दा हावी रहा हो। विकास की बात छोड़ नेता कम्यूनल बयान देने में आगे रहते हैं। उनके इन बयानों से की गूंज में विकास की बात दब जाती है। इनमें सबसे ज्यादा बयान प्रदेश के नेताओं ने दिये हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले दो तीन सालों में विवादित बयानों की बाढ़ सी आ गई है। इन बयानों से नेताओं का व्यक्तिगत रूप से तो संबंध होता ही है इसके अलावा कहीं न कहीं पार्टी की विचारधारा भी दिखाई देती है।

चुनावी दौर में लगती है बयानों की होड़

चुनावी दौर शुरू होते ही विवादित बयानों की होड़ लग जाती है। देश प्रदेश स्तर की सभी राजनीतिक पार्टियों में बयानवीरों की कमी नहीं है। पार्टी ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के बजाये उनको पद और संरक्षण देकर उनका प्रोत्साहन करती है। चुनाव के नजदीक आते ही ऐसे बयानवीर नेता सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे तो साल में इक्का दुक्का ही बयान सुनाई देते हैं।

ये है विवादित बयानों के बादशाह 

वरुण गांधी-गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाले और राहुल गांधी के भाई वरुण गांधी का बयानों से काफी गहरा संबंध है। उनका सबसे विवादित बयान 2009 के आम चुनावों में दिया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदू पर हाथ उठा या कार्यकर्ता को डराने धमकाने एवं हक छीनने के लिए शिकायत मिलती है तो वरुण गांधी हाथ काट देगा. कमल... (मुसलमानों के लिए अपमानजनक शब्द) के गले काट देगा. मुस्लिम एक बीमारी है, चुनाव के बाद खत्म हो जाएगी. इस बयान के बाद उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी।

आजम खां- सपा सरकार के मंत्री और फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले आजम खां का विवादों से पुराना रिश्ता रहा है उनके निशाने पर आरएसएस से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक निशाने पर रहते हंै। उनका जिसमें विवादित बयान था, जिसमें उन्होंने कहा था कि कारगिल में भारत माता के साथ अल्लाह हो अकबर के भी नारे गंूजे थे उनके इस बयान से राजनीति में भूचाल आ गया था। इसके लिए उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी ।

साक्षी महाराज- भाजपा सांसद साक्षी महाराज के विवादित बयानों का तो चोली दमन का साथ रहा है। उनके द्वारा दिया गया बयान ‘नाथू राम गोंडसे देशभक्त है’ पर विपक्ष को सरकार पर बोलने का मौका दे दिया। अभी ये मामला शांत ही नहीं हुआ था कि उनका हर हिन्दू महिला को चार बच्चे पैदा करने वाले बयान ने उनकी किरकिरी करवा दी।

संगीत सोम - सरधना विधानसभा से भाजपा विधायक संगीत सोम सुर्खियों में तब आये जब उनका नाम मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगे के मुख्य आरोपित के रूप में सामने आया। दंगे भड़कने के पीछे संगीत सोम का भड़काऊ भाषण था जिसमें उन्होंने एक विशेष समुदाय के खिलाफ जनसभा में बदला लेने की बात कही थी उसके बाद ही सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे।

साध्वी निरंजन ज्योति- उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीट से सांसद और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने दिल्ली विधानसभा में एक विवादित बयान दिया था जिसमें उन्होंने दिल्ली की जनता से रामजादे और ...रामजादे की सरकार चुनने की अपील की थी, जिसके बाद उनके ऊपर केस भी दर्ज हुआ था।

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