Thursday, 18 July 2013

लखनऊ की धरोहर कुत्ता गायें और बन्दर

   
 यूँ तो लखनऊ मैं बहुत सारी चीजें प्रसिद्ध है जैसे हजरत गंज की  शोपिंग, रत्ति लाल  के ख्खस्ते, राजा की  ठंडाई मगर इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जो इस शहर कि प्रसिधी के लिए कम नहीं है जैसे गाडियों ने के पीछे दोड़ते कुत्ते सडको पे आराम फरमाती गायें और हमारी छत्तों पर आराम फरमाते हुए बन्दर  वैसे तो कुत्ते गाये बन्दर ये सभी जानवर आपको और भी शहरो मैं देखने को मिल जाएँगे मगर लखनऊ के इन जानवरों कि कुछ और ही बात है 
         सबसे पहले बात करते है यहाँ के कुत्ते कि यदि आप अपनी गाडी या बाइक पे जा रहे है तो आपको बहुत ही सावधानी से चलना पड़ेगा यदि आप कार से है तो आप थोड़ी  रहत से जा सकते है  लेकिन यदि आप बाइक पे है तो सावधानी बरतनी पड़ेगी द्य रास्तें या गली में कोई कुत्ता या कुत्तों का गैंग दिखाई दे तो आप कि सलामती इसी में है कि आप बिना उन्हें घूरे { आंखे दिखाए} बिना हॉर्न बजाये धीरे धीरे उन्हें सर झुका के सलामी देते हुए निकल जाये इससे हो सकता है कि वो आपको जाने दे यदि आपने बहादुरी दिखाई तो अप नजदीकी किसी हॉस्पिटल में पाए जा सकते है इनके प्रकोप से पुलिस नेता तक नहीं बचपाए तो हम तो आम इंसान है भाई
             यहाँ कि गाये और बैल तो एक दम शान्त स्वभाव के है ये इतने शांत स्वाभाव के है कि आप हॉर्न बजाते रहे ये आराम से सड़को के बीच में बाते करती रहती है जैसे दो औरते आपस में जब गुफ्तगू करती है तो सब भूल जाती है कि वो कहाँ खड़ी है कौन सुन रहा है बस गुफ्तगू करने में लगी रहती है ठीक उसी तरह  ये गाये भी भूल जाती है कि वो कहाँ खड़ी है और यहाँ के बैल तो सडको पे लेट के ऐसा आराम फरमाते है जैसे कह रहे हो कि भाई हम तो नवाबो क सहर से है जहाँ बैठ गए वो हमारी जगह है स्वाभाविक सी बात है नवाबो के सहर में रहते है तो कुछ तो असर होगा ही नवाबो कि अदाओ का  ये नज़ारा आपको लखनऊ के चैक , सदर ,निशातगंज में देखने को मिल जायेगे इनकी इन्ही अदाओ कि वजह से अक्सर सड़क दुर्घटनाये देखने को मिलती रहती है 
      इस शहर का  तीसरा प्राणी इन सबसे खतरनाक और होशियार है इस प्राणी का नाम बन्दर है जिसकी कुछ हरकते हमारे नेताओ से मिलती है जैसे नेता आपके दरवाज़े पर तब तक आते रहते है जब तक उन्हें वोट न मिल जाये ठीक उसी तरह ये भी आप के दरवाज़े छतों पर तब तक छलांग मरते रहते है जब तक इन्हें कुछ खाने को न मिल जाये या आप के कीमती सामान तोड़ने  को न मिल जाये द्यसरकार ने इन्हें पकड़ने का आदेश जारी क्या किया जैसे इन पे पहाड़ टूट गया हो सरकार और अपने नीता भाइयो के इस आदेश से एक बन्दर इस कदर नाराज़ हुआ कि उस्सने बदला लेने के लिए पिछले साल एक आठ महीने के बच्चे क आपरहण कर लिया और एक पेड़ से दुसरे पेड़ तक इसलिए छलांग मारता रहा ताकि पुलिश उसे ट्रेस न कर सके  उसकी मांगे इस प्रकार थीं
१ हमें घर के अन्दर तक टहलने कि अनुमति दी जाये
२ आप जो भी खाने का सामान लायें सबसे पहले उसका भोग हमें लगाया जाये
३ छतों पर से जाली हटाई जाये जिस कारण हमारे बहुत से भाई जख्मी हो चुके हैं
४ छतों और आँगन में कपडे फैलाएं जाएँ ताकी हम अपने खाली समय में उनसे खेल के अपना मनोरंजन कर सकें
बाद में बड़ी मशक्कत के बाद उस अपहरणकर्ता बन्दर से उस बच्चे को छुड़ाया गया तबसे सरकार ने बंदरों के ऊपर कार्यवाही न करके इंसानों पर ही और सुरक्षा करने का नियम बना डाला  इतना सब कुछ होने के बाद भी सरकार हमारे इन अनमोल जानवरों के हित में कोई कदम नहीं उठा पा रही है और न ही इन्हें गिनीज बुक में दर्ज करने का प्रयास कर रही है द्य अगर सरकार ने इनकी मांगों और सुविधाओ कि अनदेखी की तो आने वाले समय में इनके द्वारा सरकार का तख्ता पलट की पूरी संभावना है और सड़कों और छतों पर इनका ही एकछत्र राज होगा     

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